Manipur Crisis

Manipur Crisis : क्या मणिपुर के बाद सुलगेगा नागालैंड? अलगाववादियों की धमकी नॉर्थईस्ट के लिए नया सिरदर्द 

Manipur Crisis: NSCN-IM Threatens Armed Violence

मणिपुर 18 महीनों से हिंसा की आग में जल रहा है. पूर्वोत्तर के इस राज्य में 3 मई, 2023 को हिंसा का दौर शुरू हुआ था, लेकिन आज 18 महीनों के बाद भी अशांति है. इस हफ्ते की शुरुआत में मणिपुर में सीआरपीएफ के साथ मुठभेड़ में दस उग्रवादी मारे गए. यह मुठभेड़ तब हुई जब वर्दी पहने और अत्याधुनिक हथियारों से लैस उग्रवादियों ने जिरीबाम जिले के जाकुरधोर में बोरोबेक्रा पुलिस स्टेशन और उससे सटे सीआरपीएफ कैंप पर अंधाधुंध गोलीबारी कर दी थी. इसके बाद से यहां के हालात फिर बेकाबू हो गए हैं. 

नागालैंड में फिर से संकट?

मणिपुर लगातार जल रहा है. ऐसे में पूर्वोत्तर के एक अन्य राज्य नागालैंड में एक और संकट सिर उठाने लगा है. नेशनल सोशलिस्ट काउंसिल ऑफ नागालैंड (एनएससीएन-आईएम) के इसाक-मुइवा गुट ने एक बयान जारी कर हिंसक सशस्त्र प्रतिरोध फिर से शुरू करने की धमकी दी है. उसका कहना है कि नागा राजनीतिक समस्या को हल करने के लिए दोनों पक्षों द्वारा हस्ताक्षरित 2015 फ्रेमवर्क समझौते का सम्मान नहीं किया गया. एनएससीएन-आईएम ने चेताया है कि अगर केंद्र उसकी मांगें मानने के लिए तीसरे पक्ष के हस्तक्षेप के लिए सहमत नहीं हुआ, तो वह फिर से संघर्ष शुरू करेगा. उसकी मांगों में नागाओं के लिए एक अलग ध्वज और संविधान पर गतिरोध बना हुआ है.

2015 में हुआ फ्रेमवर्क समझौता

2015 में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की उपस्थिति में एनएससीएन-आईएम इसाक-मुइवा गुट के साथ एक रूपरेखा समझौते पर हस्ताक्षर किए गए थे. एनएससीएन-आईएम इसाक-मुइवा गुट ने अपने बयान में कहा, “हम 3 अगस्त, 2015 को किए गए फ्रेमवर्क समझौते के पत्र और भावना के साथ घृणित विश्वासघात को लेकर नाखुश हैं.” उन्होंने कहा, “हिंसक टकराव पूरी तरह से भारत और उसके नेतृत्व द्वारा जानबूझकर विश्वासघात और प्रतिबद्धता के उल्लंघन के कारण होगा.” एनएससीएन के महासचिव और मुख्य राजनीतिक वार्ताकार थुइंगलेंग मुइवा द्वारा हस्ताक्षरित पांच पेज बयान में कहा गया है कि एनएससीएन नागाओं के अद्वितीय इतिहास, संप्रभुता, स्वतंत्रता, क्षेत्र, ध्वज और संविधान की रक्षा और सुरक्षा करेगा, चाहे कुछ भी हो जाए.

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97 में हुआ था संघर्षविराम समझौता

द हिंदू की एक रिपोर्ट के अनुसार एक सरकारी सूत्र ने बताया कि यह बयान टी. मुइवा के नाम से उनके दो चीन-स्थित सहयोगियों फुंथिंग शिमराय और पामशिन मुइवा द्वारा तैयार किया गया है. सूत्र ने बताया, “90 वर्षीय मुइवा की तबीयत ठीक नहीं है और वे हाल की सरकारी वार्ताओं में शामिल नहीं हुए हैं. वर्तमान में वे दीमापुर के हेब्रोन कैंप में अपने निवास पर हैं.” 20 सितंबर को पामशिन मुइवा को एनएससीएन का राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार नियुक्त किया गया था. सशस्त्र विद्रोही समूह ने 1997 में केंद्र सरकार के साथ एक संघर्षविराम समझौते पर हस्ताक्षर किए थे. बयान में कहा गया कि टी. मुइवा और उनके मित्र स्वर्गीय इसाक चिशी स्वू ने 1997 में ‘नागा राजनीतिक मुद्दे’ को शांतिपूर्ण वार्ताओं के माध्यम से हल करने के लिए बातचीत में शामिल हुए थे.

हो चुकी हैं 600 से ज्यादा वार्ताएं

इसमें कहा गया कि 1997 के समझौते के व्यापक सिद्धांत थे कि वार्ताएं बिना शर्त होंगी और प्रधानमंत्री के स्तर पर होंगी, किसी तीसरे देश में होंगी, और एक तीसरे पक्ष के गवाह के सामने होंगी. उन्होंने कहा कि भारत सरकार और एनएससीएन के बीच 600 से अधिक राजनीतिक वार्ताएं उन सिद्धांतों के आधार पर हुई हैं और 2002 की एम्स्टर्डम संयुक्त विज्ञप्ति ने नागाओं के अद्वितीय इतिहास और स्थिति को मान्यता दी और स्वीकार किया. उन्होंने दावा किया कि 2015 के फ्रेमवर्क समझौते ने नागा मुद्दे को ‘दो संप्रभु संस्थाओं के राजनीतिक संघर्ष’ के रूप में मान्यता दी और स्वीकार किया क्योंकि इसमें ‘संप्रभु शक्तियों’ को ‘नए संबंध’ में साझा करने की बात की गई थी. 

2015 में आर.एन. रवि ने कराया था समझौता

2015 में नागा शांति वार्ता के वार्ताकार आर.एन. रवि द्वारा समझौते पर हस्ताक्षर किए गए थे. रवि, वर्तमान में तमिलनाडु के राज्यपाल हैं, 2021 में स्थानांतरित होने तक वह नागालैंड के राज्यपाल का प्रभार संभाल रहे थे. तब से कोई नया वार्ताकार नियुक्त नहीं किया गया है. नागा समूह गृह मंत्रालय में पूर्व खुफिया ब्यूरो (आईबी) अधिकारी ए.के. मिश्रा, जो पूर्वोत्तर के सलाहकार हैं, के साथ बातचीत करते रहे हैं. यह ऐसे समय में आया है जब केंद्र सरकार नागा नेशनल पॉलिटिकल ग्रुप्स (एनएनपीजी) के साथ समानांतर बातचीत कर रही है, जो एनएससीएन (आईएम) को छोड़कर सात नागा संगठनों का एक समूह है.

एनएससीएन-आईएम इसाक-मुइवा गुट ‘ग्रेटर नागालैंड’ या नागालिम के निर्माण की मांग कर रहा है. इसके अनुसार पड़ोसी असम, मणिपुर और अरुणाचल प्रदेश के नागा-प्रभुत्व वाले क्षेत्रों को एकीकृत करके 1.2 करोड़ नागाओं को एकजुट किया जाए.

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FIRST PUBLISHED : November 16, 2024, 16:32 IST

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